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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2637
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

दुग्ध फॉर्मूला बनाने की विधि

जरूरी उपकरण— ऊष्मा प्रतिकारक काँच अथवा प्लास्टिक की बनी बोतलें, जरूरी, निपल प्रति दुग्धपान एक, पानी, फलों के रस आदि के लिए निपल उपर्युक्तानुसार।

बोतल की टोपी (Cap) काँच अथवा प्लास्टिक से निर्मित, तार के रैक से युक्त बॉटल स्टेरिलाइजर, फॉर्मूला मिलाने हेतु सॉसपैन, औसं निर्देशित मानक मापक कप, लम्बी डण्डी के चम्मच, कीप, बोतल का ब्रश, चिमटे, प्रयुक्त निपल के लिए जार, पतली छन्नी, डिब्बा खोलने का यन्त्र।

उपकरण पूर्णत: स्वच्छ होने चाहिए। इन्हें मृदु डिटर्जेण्ट से धोकर गर्म पानी में खंगालकर साफ कर लें। निपल में सुई से छेद करके नमक से धो लें, ताकि उसकी गन्ध दूर हो जाए।

फॉर्मूला की बोतल भरना - बोतल भरने की दो विधियाँ हैं-

1. स्टैण्डर्ड क्लीन तकनीक

2. टर्मिनल स्टेरिलाइजेशन

दूध पाउडर तैयार करने की विधि

एक बर्तन लें और उसमें पानी डालकर उस पानी को उबाल लें। शिशु को दी जाने वाली आवश्यक मात्रा में दूध पाउडर बोतल में ले लें। उसके पश्चात् डिब्बे पर दिए गए निर्देशों के अनुसार उसमें गुनगुना पानी मिला दें और फिर बोतल को निपल सहित ढक्कन लगाकर अच्छी तरह हिलाएँ। दूध तैयार हो जाता है। यदि जरूरत हो तो दूध को छलनी से छान लें। दूध को शरीर के तापक्रम तक ठण्डा होने दें और फिर शिशु को पिलाएँ।

दुग्धपान की तकनीक - शिशु को माता के अलावा अन्य स्रोत वाला दूध पिलाने की जरूरत पड़ने पर बोतल में दूध भरकर निपल लगाकर पिलाया जाता है। यह विधि स्तनपान के समान ही है। बोतल द्वारा दूध पिलाने से शिशु की दूध पीने की क्रिया, चूसना, निगलना आदि का सम्पूर्ण उपयोग होता है। शिशु अवस्था में दूध पिलाने के अन्य किसी माध्यम से दूध पिलाने की अपेक्षा बोतल द्वारा दूध पिलाने को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है।

समय पर नियम के अनुसार फॉर्मूला तैयार कर बोतलों में भरकर रेफ्रिजरेटर में रखना चाहिए। प्रत्येक दुग्धपान के समय एक बोतल निकालकर गर्म पानी के बर्तन में अच्छी तरह हिलाकर उपयुक्त तापक्रम 100° F तक लाना चाहिए। इसकी कुछ बूँदें हथेली पर डालकर परीक्षण कर लेना चाहिए। यदि इसकी गर्माहट सहने योग्य हो तो पी ने योग्य तापक्रम समझना चाहिए। दूध पिलाते समय बोतल सदैव अर्द्ध लटकी अवस्था में रहनी चाहिए। शिशु को बोतल से कभी भी खेलने नहीं देना चाहिए। निपल में छेद न तो छोटा होना चाहिए और न ही बड़ा। छोटा छेद होने से शिशु को दूध पीने में अधिक श्रम करना पड़ता है, जिससे उससे पूर्ण तृप्ति नहीं मिलेगी और वह शीघ्र ही थक सकता है। बड़ा छेद होने से अत्यधिक वायु और काफी दूध एक साथ पिलाने से शिशु को असुविधा होती है। इससे कभी-कभी दूध बार-बार मुँह तक आ जाता है। शिशु को बोतल खाली करने के लिए कभी भी अत्यधिक दबाव नहीं डालना चाहिए। शेष छोड़े दूध को फिर से नहीं पिलाना चाहिए। यदि निपल दूध से भरा हो तो वायु प्रवेश की सम्भावना काफी कम होती है। फिर भी दुग्धपान के बीच तथा अन्त में शिशु को कन्धे पर डालकर धीरे-धीरे उसकी पीठ थपथपाकर डकार दिलवाना लाभदायक होता है।

दूध की मात्रा

आयु दूध की मात्रा प्रति आहार
औंस मिली
0 से 2 सप्ताह 2 से 3 60 से 90
3 सप्ताह से 2 महीना 4 से 5 120 से 150
3 महीना से 4 महीना 5 से 6 150 से 180
4 महीना से 5 महीना 6 से 7 180 से 210
6 महीना से 12 महीना 7 से 8 210 से 240


प्रतिदिन की आहार संख्या - शिशु को प्रतिदिन दी जाने वाली आहार की संख्या उसकी आयु पर निर्भर करती है। शिशु की आयु जैसे-जैसे बढ़ती जाती है उसके प्रतिदिन आहार की संख्या घटती जाती है।

आयु संख्या
पहला सप्ताह 5 से 10
दूसरे सप्ताह से एक महीना 6 से 8
2 महीना से 3 महीना 5 से 6
4 महीना से 6 महीनों 4 से 5
7 महीना से 9 महीना 3 से 4
9 महीना से 12 महीना 3 बार

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    अनुक्रम

  1. आहार एवं पोषण की अवधारणा
  2. भोजन का अर्थ व परिभाषा
  3. पोषक तत्त्व
  4. पोषण
  5. कुपोषण के कारण
  6. कुपोषण के लक्षण
  7. उत्तम पोषण व कुपोषण के लक्षणों का तुलनात्मक अन्तर
  8. स्वास्थ्य
  9. सन्तुलित आहार- सामान्य परिचय
  10. सन्तुलित आहार के लिए प्रस्तावित दैनिक जरूरत
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. आहार नियोजन - सामान्य परिचय
  13. आहार नियोजन का उद्देश्य
  14. आहार नियोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  15. आहार नियोजन के विभिन्न चरण
  16. आहार नियोजन को प्रभावित करने वाले कारक
  17. भोज्य समूह
  18. आधारीय भोज्य समूह
  19. पोषक तत्त्व - सामान्य परिचय
  20. आहार की अनुशंसित मात्रा
  21. कार्बोहाइड्रेट्स - सामान्य परिचय
  22. 'वसा’- सामान्य परिचय
  23. प्रोटीन : सामान्य परिचय
  24. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  25. खनिज तत्त्व
  26. प्रमुख तत्त्व
  27. कैल्शियम की न्यूनता से होने वाले रोग
  28. ट्रेस तत्त्व
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. विटामिन्स का परिचय
  31. विटामिन्स के गुण
  32. विटामिन्स का वर्गीकरण एवं प्रकार
  33. जल में घुलनशील विटामिन्स
  34. वसा में घुलनशील विटामिन्स
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. जल (पानी )
  37. आहारीय रेशा
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. 1000 दिन का पोषण की अवधारणा
  40. प्रसवपूर्व पोषण (0-280 दिन) गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त पोषक तत्त्वों की आवश्यकता और जोखिम कारक
  41. गर्भावस्था के दौरान जोखिम कारक
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  43. स्तनपान/फॉर्मूला फीडिंग (जन्म से 6 माह की आयु)
  44. स्तनपान से लाभ
  45. बोतल का दूध
  46. दुग्ध फॉर्मूला बनाने की विधि
  47. शैशवास्था में पौष्टिक आहार की आवश्यकता
  48. शिशु को दिए जाने वाले मुख्य अनुपूरक आहार
  49. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  50. 1. सिर दर्द
  51. 2. दमा
  52. 3. घेंघा रोग अवटुग्रंथि (थायरॉइड)
  53. 4. घुटनों का दर्द
  54. 5. रक्त चाप
  55. 6. मोटापा
  56. 7. जुकाम
  57. 8. परजीवी (पैरासीटिक) कृमि संक्रमण
  58. 9. निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन)
  59. 10. ज्वर (बुखार)
  60. 11. अल्सर
  61. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  62. मधुमेह (Diabetes)
  63. उच्च रक्त चाप (Hypertensoin)
  64. मोटापा (Obesity)
  65. कब्ज (Constipation)
  66. अतिसार ( Diarrhea)
  67. टाइफॉइड (Typhoid)
  68. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  69. राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएँ और उन्हें प्राप्त करना
  70. परिवार तथा विद्यालयों के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  71. स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  72. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रः प्रशासन एवं सेवाएँ
  73. सामुदायिक विकास खण्ड
  74. राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम
  75. स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
  76. प्रतिरक्षा प्रणाली बूस्टर खाद्य
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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